Mirza Ghalib Shayari: गालिब एक फारसी कवि थे जिन्हें मुगल साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक माना जाता है। उनका जन्म ईरान के करमानशाह में हुआ था और उनका परिवार कुलीन तुर्की वंश का था। ग़ालिब के दादा ने करमानशाह के गवर्नर के रूप में कार्य किया और उनके पिता दिल्ली में मुगल साम्राज्य की राजधानी दार उल-अमन के दरबार में एक दरबारी थे। ग़ालिब ने छोटी उम्र में ही शायरी लिखना शुरू कर दिया था और महज अठारह साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। आज इस लेख के माध्यम से मै आप के साथ मशहूर शायर और कवी मिर्ज़ा ग़ालिब की सबसे प्रचलित रचनाओं को साझा करने वाला हु।

Table of Contents
Mirza Ghalib Shayari
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !
ज़िन्दगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते
कफ़न भी लेते है तो अपनी ज़िन्दगी देकर।
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे..!!
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Mirza Ghalib Shayari in Hindi
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है..!!
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया।
वर्ना हम भी आदमी थे काम के..!!
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे।
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है।।

ग़ालिब की शायरी हिंदी में
झूम उठे दिल झूम बराबर,
गीतों के तराने और सावन के मल्हार हैं।
कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज़।
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले।।
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी खबर नहीं आती..!!

Motivational Mirza Ghalib Shayari
वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़।
सिवाए बादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है।।
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ‘ग़ालिब’।
कहते हैं अगले ज़माने में कोई ‘मीर’ भी था।।
न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा।
कोई बताओ कि वो शोखे-तुंदख़ू क्या है।।

मिर्जा गालिब की दर्द भरी शायरी
नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को।
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं।।
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे।
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और।।
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का।
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।।

Mirza Ghalib Shayari for Love
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का।
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।।
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।।
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना

Heart Touching Mirza Ghalib Shayari
कोई उम्मीद बर नहीं आती।
कोई सूरत नज़र नहीं आती।
की वफ़ा हम से, तो गैर उसको जफ़ा कहते हैं
होती आई है, कि अच्छो को बुरा कहते हैं
तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको,
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है ….

2 Lines Mirza Ghalib Shayari in Hindi
हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ
जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा..!!
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’।
शर्म तुम को मगर नहीं आती..!!
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ..!!

ग़ालिब प्रेम शायरी
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..!!
हम भी दुश्मन तो नहीं है अपने
ग़ैर को तुझसे मोहब्बत ही सही..!!
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत है
कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते है..!!

Sad Mirza Ghalib Shayari
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर
पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर..!!
चाँद मत मांग मेरे चाँद जमीं पर रहकर
खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर..!!
चाहें ख़ाक में मिला भी दे किसी याद सा भुला भी दे,
महकेंगे हसरतों के नक़्श हो हो कर पाए माल भी..!!

Deep Shayari by Ghalib
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले।
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..!!
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई।
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई..!!
ये ना थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता।
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।।

Popular Mirza Ghalib Shayari
हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ,
जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा।
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए,
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे।
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है।।

Mirza Ghalib Sher O Shayari
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता..!!
फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ !!
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना..!!

Mirza Ghalib Romantic Shayari
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन..!!
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता..!!
खैरात में मिली ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती ग़ालिब,
मैं अपने दुखों में रहता हु नवावो की तरह।

Mirza Ghalib Shayari On Life
तुम अपने शिकवे की बातें
न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से
कि उस में आग दबी है..!!
ख्वाहिशों का काफिला भी अजीब ही है “ग़ालिब”
अक्सर वहीँ से गुज़रता है जहाँ रास्ता नहीं होता..!!
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं..!!
Conclusion
मुझे आशा है कि आपको ऊपर सूचीबद्ध ये सभी मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी पसंद आई होंगी। यदि इसमें से कोई भी शायरी आप इस्तेमाल करना चाहते है या फिर अपने दोस्तों और सोशल मीडिया में शेयर करना चाहते है तो कॉपी बटन पर क्लिक करके आप इन शायरी को इस्तेमाल कर सकते है। इस लेख को अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!